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योगीजी महाराज की अनुवृत्ति के अनुसार गुरुहरि काकाजी महाराज और गुरुहरि पप्पाजी महाराज ने स्वामिनारायण सम्प्रदाय में महिलाओं को भगवान भजने और गुणातीतभाव प्रगटाने का अवसर सुलभ करवाया। उन्होंने विद्यानगर में अपने भूमिखंड पर ‘गुणातीत ज्योत’ बनवा कर, भगवान भजने प्रवृत हुई बहनों को अर्पण किया। गुरुहरि योगीजी महाराज ने स्वयं इस भवन की शिलान्यास विधि करी थी। आज वहां 600 से अधिक बहनें भगवान भज रहीं हैं।
1989 में, दिल्ली में, भगवान स्वामिनारायण के मूलभूत सिद्धांतों पर चल कर त्यागाश्रम स्वीकार करके, साध्वी बहनों ने गुरुहरि काकाजी महाराज के ही आशीर्वाद तथा परम पूज्य गुरुजी (साधु मुकुंदजीवनदासजी) की प्रेरणा और मार्गदर्शन से भगवान भजने व समाज की सेवा करने ‘अक्षरज्योति महिला केंद्र’ की स्थापना करी।
दादा खाचर के परिवार के साथ 39 साल रह कर भगवान स्वामिनारायण ने जिस कुटुंबभावना का दर्शन कराया, उसे काकाजी महाराज ने आत्मसात् करके गुणातीत समाज की रचना करी, जो आज खूब फला-फूला दिखता है। अक्षरज्योति महिला केंद्र, इसी कुटुंबभावना के सत्संग का प्रचार और प्रसार करते हुए महिलाओं और बच्चों की सेवा में पिछले तीन दशकों से कार्यरत है।
प.पू. आनंदी दीदी एवं उनके सान्निध्य में रहती बहनों का मूल उद्देश्य संपर्क में आती गृहस्थ बहनों के पारिवारिक संबंधों में सामंजस्य स्थापित कराना, बच्चों को शिक्षा के लिये प्रोत्साहित करना एवं वर्तमान समय में लोप हो रहे नैतिक मूल्यों का उनमें सिंचन करना, निःसहाय महिलाओं को मानसिक और भावात्मक सहारा देना, उन्हें प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाना, शिक्षा एवं चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना, समाज सेवा, पर्यावरण एवं प्रदूषण के बारे में जागरूकता फैलाना इत्यादि है।